Tuesday, September 19, 2006

06.वचन



तुमने मुझे
बचन दिया था
जीवन भर
साथ निभाने का
सिंदूर भी भरा था
माँग में
मेरे नाम का
लेकिन आज
मुझे छोड़कर
तुम चली गई
सद-सदा के लिये
काश !
मेरे भी प्राण
उसी समय
उड़ जाते
तो, तुम्हारा बचन भी
पूरा हो जाता ।
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