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31. हिले नहीं
चरण
हमने उनके
पखारे बहुत थे
मगर वे तो
अंगद के थे
कुछ हिले नहीं ।
बड़े ही
जतन से
उन्हें हमने
सींचा
वे ऐसे कमल थे
जरा भी
खिले नहीं ।
कई कोस
चलकर के
आये थे मिलने
मगर
एक पग भी
वे आगे
चले नहीं ।
बसाया था
हमने
उन्हें अपने
दिल में
मगर उनके
पाषाण
दिल थे
गले नहीं ।
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