skip to main |
skip to sidebar
10.काँटा बो गया
तुम गईं
जैसे जीवन से-
बहार चली गई
मन से-
खुशियाँ चली गईं,
तन से-
आत्मा चली गई,
पेड़ों से पत्तियाँ
झर गईं हों जैसे,
बरगद की जड़
मर गई हो जैसे,
लगता है कोई सागर
सूख गया हो,
नदी बहने से
रुक गई हो,
तुम गईं
जैसे सारा जीवन
अंधकारमय हो गया
गुलाब की जगह
कोई
काँटा बो गया ।00000
No comments:
Post a Comment