Tuesday, September 19, 2006
15.माँ होने का एहसास
बेटी !
तुम्हें विदा करते समय
जब अपने
सीने से लगाया
तो मुझे लगा
जैसे मैं अपने ही
कलेजे को
सीने से लगा रहा हूँ
मेरा कलेजा
शायद मुझमें नहीं
तुम्हरी देह में है
बेटी !
जिस दिन
मैंने तुम्हें
गोदी में खिलाया था
पालने में झुलाया था
उस दिन
तुम्हारे पिता होने का
एहसास था मुझे
लेकिन आज
जब मैंने
तुम्हारे सिर पर हाथ फेरा-
तुम्हारे माथे को
चूम लेना चाहा
तो मुझे
तुम्हारा पिता नहीं
माँ होने का
एहसास हो रहा है।
00000
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment