Tuesday, September 19, 2006

07. तुम्हारी याद



याद है मुझे
वे बीते हुये दिन
जब अमराइयों में
पनघट पर
छुप-छुप कर मुझसे
मिला करती थीं
घंटों खो जाते थे
स्वप्न की दुनिया में
जग से –
बेखबर ।
आज, तुम नहीं हो
तुमहारी याद
तरोताज़ा है
आज भी मेरे ज़ेहन पर ।

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