Tuesday, September 19, 2006

20.सामंजस्य



टिमटिमाते
दीपक को देख
मुझे ऐसा लग रहा था
कि कितना सांमजस्य है
मेरे जीवन और
इस दीपक के जीवन में
जैसे-
तेल के चुकते ही
यह समा जायेगा
एक गहन अंधकार में
बस इसी भाँति
मैं भी तो समा जाऊँगा
इस विशालकाय
धरती में
साँसों के चुकते ही

एक दिन ।

00000

No comments: