Tuesday, September 19, 2006
11. जरूरी है
जरूरी है
हमारी पीड़ा को
अन्तरात्मा से
उठती वेदना को
कोई सहला जाए
प्यार की मीठी
दो बात कर ले
अनवरत-
बहते अश्रुकण
पोंछ ले
जरुरी है।
जरूरी है
कोई दे जाए
हौसला
टूटने से कोई
बचा ले
उजड़ने से पहले
बसा ले
गिरने से पहले
उठा ले
कोई बन जाए
हमारे लाठी का
सहारा
आँखों की रोशनी
जरूरी है ।
जरुरी है
कोई दे जाए हमें
स्नेह के दो फूल
प्यार के दो शब्द
आशीर्वाद के
कुछ वचन
भर ले अपनी बाहों में
लगा ले कोई
छाती से
चूम लूँ उसके चरण
जरूरी है ।
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