Tuesday, September 19, 2006

33. तुम्हारा प्यार



तुम्हारा प्यार
जैसे
रूप का
श्रृंगार ।

तुम्हारा प्यार
जैसे
प्रणय की
मनुहार ।

तुम्हारा प्यार
जैसे
खुशनुमा
संसार ।

तुम्हारा प्यार
जैसे
पायल की
झंकार ।

तुम्हारा प्यार
जैसे
बाहों का
हार

तुम्हारा प्यार
जैसे
सावन की
बहार

00000

No comments: