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25. एक गीत हूँ मैं
जीवन को उन्मुक्त बना दे
एक गीत हूँ मैं ।
अवसादों से घिरे हुये
जो आँसू पीते हैं
अन्तस्तल में दर्द समेटे
मर-मर जीते हैं ।
जीवन के पृष्टों पर अंकित
एक मीत हूँ मैं ।
मुरझाये पुष्पों को मैंने
जीवनदान दिया
पतझर के मौसम ने भी
मेरा रसपान किया ।
संघर्षों से कभी न हारे
वही जीत हूँ मैं ।00000
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