Tuesday, September 19, 2006

25. एक गीत हूँ मैं



जीवन को उन्मुक्त बना दे
एक गीत हूँ मैं ।

अवसादों से घिरे हुये
जो आँसू पीते हैं
अन्तस्तल में दर्द समेटे
मर-मर जीते हैं ।

जीवन के पृष्टों पर अंकित
एक मीत हूँ मैं ।

मुरझाये पुष्पों को मैंने
जीवनदान दिया
पतझर के मौसम ने भी
मेरा रसपान किया ।

संघर्षों से कभी न हारे
वही जीत हूँ मैं ।

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