skip to main
|
skip to sidebar
एक गीत तुम्हारे नाम
Tuesday, September 19, 2006
26. सार्थक
मैं हमेशा
सार्थक बनकर
जीना चाहता हूँ
उन एक्सपाइरी डेट की
दवाइयों की तरह नहीं
जिसे लोग कहें
बेकार है
उस बेकार कहलाने से
ज्यादा अच्छा है
उस अनंत मौन में
समा जाना
जिसे लोग
मृत्यु कहते हैं ।
00000
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
▼
2006
(47)
▼
September
(47)
पुरोवाक्
अपनी बात
आभार
01. तुम्हारी याद
02.मदहोश चुम्बन
03.एक गीत तुम्हारे नाम
04.एक शून्य
05.पदचाप
06.वचन
07. तुम्हारी याद
08.अकेला
09. मन
10.काँटा बो गया
11. जरूरी है
12. बढ़ो
13.लिखो
14. सोचो
15.माँ होने का एहसास
16.वह बुढ़िया
17.कर्त्तव्यबोध
18. यात्रा
19. प्रतीक्षा
20.सामंजस्य
21. ओ माटी
22. दीप जल जाते
23.तेरा यह गाँव
24.एक दीप हूँ मैं
25. एक गीत हूँ मैं
26. सार्थक
27. दहेज
28.परिवर्तन
29.तीरथधाम
30.आत्म-निवेदन
31. हिले नहीं
32. तुम्हारे गीत
33. तुम्हारा प्यार
34. तुम न आये
35. बिटिया
36. पर्वत शिखर दो
37. सूना शहर है
38. जलती रहूँगी
39. चल दिये तुम
40.मंद-मंद दीपक जल
41.वरदान हो तुम
42. प्यार कर लूँ
43.जीना दुश्वार हो गया
44. अन्तिम इच्छा
No comments:
Post a Comment