Tuesday, September 19, 2006
17.कर्त्तव्यबोध
ओ माँ !
याद है मुझे
आज भी वह दिन
जब तुम मुझे
हाथ पकड़कर
ले जाती थीं घुमाने
नींद नहीं आने पर
देती थीं थपकियाँ
सुनाती थीं
राजा और रानी की
कहानियाँ
ओ माँ !
याद है मुझे
आज भी वह बचपन
जब तुम मुझे
बिठा लेती थीं
अपने कंधों पर
खेलती थीं
मेरे साथ
आँख-मिचौनी
हर पल
हर क्षण
केवल मेरा ही
ध्यान रखती थीं
अब, जब-
मुझे ध्यान रखने का
वक़्त आया
तब तुम
विदा हो गई
इस संसार से
हमेशा-हमेशा के लिये
ओ माँ !
कैसे उऋण कर पाऊँगा
अपने आपको
कैसे समझा पाऊँगा
अपनी आत्मा को
कुछ तो बता दो
ओ माँ !
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